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Wednesday, September 23, 2009

तलाश

क्यू पुरानी बातो को सोच कर हम रोते है
जब की सुबह की हर नई किरण कुछ नया लाती है

क्यू अक्सर उन पुरनी यादो में खो जाते है
जब की हर दिन कुछ नया देने को आजाती है

क्यू तलाश करते है पुरानी खुशियों को
जब की हर रात के बाद कई खुशिया इंतजार करती है

क्यू दीवाने हो जाते है उन बीते पलो के हम
जब की जानते है वो भी कभी अनजान होते है

क्यू भूल जाते है उस पल को जो साथ अपने होता है
क्यू खोये रहते है बस भूत में जब की भविष्य सामने होता है

क्यू क्यू क्यू और क्यू

Sunday, September 20, 2009

पहला आशीर्वाद

पहली उड़ान के वास्ते

आसमा में मेरी पहचान  के वास्ते

माँ बना दे मुझे मजबूत उतना

पत्थर का सीना चीरने के लिए चाहिए होता है जितना

सूर्य सा मुझमें तेज भर दे चाँद सी हो मुझमे शीतलता

जल सा तरल बन जाऊ  मैं लहरों सी हो मुझमे चंचलता

माँ फिर तू  मुझे अपना आशीर्वाद दे

कि विचलित न हो जाऊ अपने कर्म पथ से

फिर विधि कितने ही शूल दे

अविरल बरता ही रहू मैं

तब तक कि मंजिल न मिल जाए मुझे
 
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