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Monday, September 20, 2010

अधूरे सपने

जिंदिगी के कुछ रिश्ते है
जो बन नहीं पाते
कुछ फासले होते है जिंदगी के
जो मिट नहीं पाते
मंजिले कई होती है जिंदगी की
कुछ मंजिले हम पा नहीं पाते
उड़ना तो चाहते है आकाश की उचाइयो में,
कुछ पर है जो खुल नहीं पाते
फस जाते है जिंदगी के उधेड़-बुन में
और कुछ सपने है जो पुरे हो नहीं पाते |

अकेला मन

कोई न साथ निभायेगा
रे मेरे मन
माँ बाप संग तेरे
जिनके गोद में बिता तेरा बचपन
कब तक दोस्त संग तेरे
रिश्ते नाते प्यार भी तेरा
एक दिन साथ देगा छोड़ तेरा तन
कुछ तो ऐसा कर जायो, कि
याद करे सारे जन
लाखो की भीड़ में
तू अकेला, अकेला तेरा तन
 वो मेरे मन |
 
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