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Saturday, August 31, 2013

मैं कुवारा हूँ, आज भी तुम्हारा हूँ

मैं कुवारा हूँ, आज भी तुम्हारा हूँ
पतंग की मदमाती उड़ान की तरह
समुन्दर के लहरो में आये उफान की तरह
हर बधावो को तोड़
आज भी तुम्हारे इंतज़ार में हूँ
उचाईयों से अब नहीं डरता मैं
हिरनी सा कुचाल भरता मैं
सबकुछ अब पीछे छोड़ आया
बड़े मुददत के बाद तेरी यादो को दिल में सजाया हूँ
चलते चलते दूर बहुत आ निकला
अब तो लगता है परछाई भी साथ छोड़ देगी
मुक्कदर ही बता सकती है अब कहाँ जा रहा हूँ
कुछ अंदेशा सा है शायद तुम्हारे पास आरहा हूँ
मेरी कस्ती डगमगा जाती हैं
मौत भी आकर गुजर जाती हैं
लोग हँसते है हँसाते हैं
पर मुझे तो सभी रुलाते हैं
अब कुछ भी करने को मन नहीं करता हैं
जाने किस बात से अब ये डरता हैं
हजारो की इस भीड़ में मैं खो गया हूँ
सच कहता हूँ तुम्हारे बिन मैं अकेला हो गया हूँ

 
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