WELCOME TO PIYUSH'S BLOG :)

rss

Saturday, October 24, 2015

SEO का दर्द

हमे तो Bookmarking ने मारा Directory में कहाँ दम था
मेरी site गिरी उस Keyword पर जिस पर Competition कम था


नया साल आया नयी उमीदो के साथ
कुछ बात होगी  नयी कुछ बाते खास
बड़े इंतजार में थे, हम मुस्किलो के खान में थे
गूगल के पांडा, पेगुइन और PR अपडेट के बाद
सब साइटो की Ranking  गिर गई
और हमारी सैलरी वाली अपडेट लटक गई
कहाँ सोचा था की बढ़ी सैलरी से देख आये गे धूम-3
और तो और एक जो अकेली बची गर्लफ्रेंड थी वो भी चली गई
ये साल तो गया उ ही खाली
आने वाले साल में
करनी होगी Bookmarking वो भी High PR वाली
सबसे जादा इनसे ही लगता है डर
आज खुली तो कल 404 का Error
Directory की साइटे तो लगे प्रियतमा का भाई
हम submit कर कर के हारे पर Approval एक भी नहीं आई
Article और Press Release ने भी कम सितम नहीं ढ़ाया
कुछ एक तो ऐसी है जिनका Email Verification Link ही आज तक नहीं आया
अब तो आने वाला साल ही कुछ कमाल दिखाए गा
मेरी डूबती साइटो की Ranking  बचाए गा
पर इस बात का भी लगता है डर
कही गूगल जी महाराज और न जाये बिगड़
अभी तक तो पांडा, पेगुईं और हमिंग बर्ड है लाया
इस साल हांथी, गैंडा और जिराफ़ भी न आजाये

For My Dear Friend Nitesh

To dear Nites, just before some month of marriage



भउजी कइलिन भईया के बरबाद
भईया देखत नइखे हमरी ओर
हम घूमी उनके पाछे
उ ढूंढे कमरा के कोन
देर रात में सुत्ते ले
खइलो में मैसेज भेजे ने
अब न गणित प्रश्न समझावे
न निम्मन मुर्गा बनावे ने
कुछ बोली त शोर मचावेने
भईया भइले बर्बाद
देखत नइखे हमरी ओर
अब सुनला अम्मा सुनला बाउजी
येही लगन में कईदा इनकर बेडा पार
लावा भउजी के अपने दुआर
नाही त भईया के बढ़त जाई आत्याचार
भईया देखत नइखे हमरी ओर

Wednesday, April 29, 2015

हम प्यार करने लगे है

हमारे ख्यालात अब मिलने लगे है
आँखे अब दोनों के रात जगने लगे है
दूरिया अब नजदीकियों में बदल रही है
प्यार के अंकुर अब पनपने लगे है
कुछ शरारती ये निगाहे हो चली है, और
हमभी शरारत कुछ करने लगे है
मैं तुम्हे देख कर मुस्कुराने लगा हूँ
तुम मुझे देख शर्माने लगी हो
तुम्हारी खामोशिया अब समझ आने लगी है
तुम भी मेरे नाम पर इतराने लगी हो
मेरी हर धड़कन तुम्हारे नाम से गुजती है
तुम्हारी आरजुएं मेरा नाम गाने लगी है
अब बाकी रह गया कहाँ कुछ
दिल हमारा एक दूसरे का होने लगा है
तुम मुझे समझने लगी हो
मैं तुम्हे समझने लगा हूँ

Thursday, April 23, 2015

जान अभी बाकि है

इक आसु है अंगोरो की
कुछ मरी हुई आरजुएं है
सोये हुए एहसास की झाकी है
अभी सीने में साँस बाकि है
हौसलों की बुनियाद अब गिरी नहीं
अभी जेहन में आग बाकि है
मैं उजड़े गुलिस्ता का रखवाला हूँ
अभी सावन की फुहार बाकी है
सब रूठ चुक मुझसे
मैं हार चूका सबसे
पंखो में जोश अभी बाकी हैं
गिरा सके कोई आंधी मुझे कहाँ
मेरी हिम्मत में अभी जान बाकी है 
 
Entertainment Top Blogs A1 Web Links -