साल के एक – एक दिन को
दहलीज की तरह पार करते हुये
आज उम्र के इस पड़ाव तक भी आगया
बहुत सी अच्छी – बुरी यादों को दिल में सजोये
बचपन की चंचल बदमासियो से
किशोरावस्था की मस्तियो से होता हुआ
आज कर्मभूमि में अडिग बढ़ रहा मैं
तमाम सफलतावो – असफलतावो को साथ लिए
माँ – बापू के आशावो का पियूष
आज उनसे दूर जी रहा है उनके लिए
बड़ो का आशीर्वाद है जहाँ सर पर
छोटो का प्यार दिल में लिए
जीवनसंगनी और नन्हे पियूष ने
इन अधरों पे मुस्कान दिए
दोस्त सभी अनमोल उपहार
इस कलयूग में भी करते इतना प्यार
सब विधि का विधान हैं
पूर्वलिखित परमेश्वर द्वारा
ये उनका ही संसार हैं
हर मुझसे बड़े से हाथ जोड़ अनुरोध हैं
ऐसे ही आशीर्वाद बनाये रखना
छोटो से कहना है स्नेह सजोये रखना
और, जो हमउम्र साथी हैं सब साथ निभाए चलना
माँ – बापू, ईस्वर के बाद
दीदी – जीजा, चाचा – चाची
बुया – फूफा, भईया – भाभी
मामा – मामी, दादी और मौसी
मुझे सबकी अभी भी जरुरत हैं
इतना बड़ा नहीं हुआ अभी मैं
कि बिन आप के आशीर्वादो के
एक पग भी चल पाउगा
आप सबका नन्हा दीपू
आप के प्यार से ही मुस्काऊगा