समझाने की मैं कोशिश करता
क्या तुम समझ भी पाती हो
तुम पर अपना प्यार लुटाता
क्या तुम इतरा जाती हो
छेड़ा करता तुमको ख्वाबो में
क्या तुम शरमा जाती हो
हर पल सोचा करता मैं तुमको
क्या याद मुझे भी तुम कर पाती हो
वक्त की सुई टिक-टिक चलती
क्या तुम घड़िया गिन पाती हो
मेरी आखों में अब नीद नहीं
क्या रातो को तुम सो जाती हो
तेरी हर एक धड़कन पहचान मैं जाता
क्या मेरी आहट तुम सुन पाती हो
हर अहसास तेरे अब मेरे
क्या महसूस मेरी सासों को तुम कर पाती हो
वर्षा करता रहता मैं पियूष की
क्या एक बूद भी पी पाती हो
समझाने की मैं कोशिश करता
क्या तुम समझ भी पाती हो
क्या तुम समझ भी पाती हो
तुम पर अपना प्यार लुटाता
क्या तुम इतरा जाती हो
छेड़ा करता तुमको ख्वाबो में
क्या तुम शरमा जाती हो
हर पल सोचा करता मैं तुमको
क्या याद मुझे भी तुम कर पाती हो
वक्त की सुई टिक-टिक चलती
क्या तुम घड़िया गिन पाती हो
मेरी आखों में अब नीद नहीं
क्या रातो को तुम सो जाती हो
तेरी हर एक धड़कन पहचान मैं जाता
क्या मेरी आहट तुम सुन पाती हो
हर अहसास तेरे अब मेरे
क्या महसूस मेरी सासों को तुम कर पाती हो
वर्षा करता रहता मैं पियूष की
क्या एक बूद भी पी पाती हो
समझाने की मैं कोशिश करता
क्या तुम समझ भी पाती हो
hi
ReplyDeletekya bhabhiji ko samjhate-2 pareshaan ho gaye ho kya..aisa likhte ho..