क्यू पुरानी बातो को सोच कर हम रोते है
जब की सुबह की हर नई किरण कुछ नया लाती है
क्यू अक्सर उन पुरनी यादो में खो जाते है
जब की हर दिन कुछ नया देने को आजाती है
क्यू तलाश करते है पुरानी खुशियों को
जब की हर रात के बाद कई खुशिया इंतजार करती है
क्यू दीवाने हो जाते है उन बीते पलो के हम
जब की जानते है वो भी कभी अनजान होते है
क्यू भूल जाते है उस पल को जो साथ अपने होता है
क्यू खोये रहते है बस भूत में जब की भविष्य सामने होता है
क्यू क्यू क्यू और क्यू
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