कुछ दिनों से मै कुछ तलाश कर रहा हूँ
मै अपने आप में खुद को तलाश कर रहा हूँ
रात के अंधरे में सुबह के उजाले में
किसी कमरे का एक गुमनाम सा कोना हो
या फिर भरी बाजार का कोलाहल
मै बुझते चराग में
लौ की नई किरण तलाश कर रहा हूँ
मै अपने आप में खुद को तलाश कर रहा हूँ
पेड़ की शीतल छाव के निचे
तपती रेत पर नंगे पैर को खिचे
डरा - डरा सा सहमा हुआ सा
काटो भरी लम्बी राह पर
मंजिल के निंशा तलाश कर रहा हूँ
मै अपने आप में खुद को तलाश कर रहा
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