काम करते करते जब थक जाता है मन
तब तेरी पनाह खोजता है मन
माना अभी हम दूर है
हालातो से मजबूर है
फिर भी याद तो तेरी आती है
तेरी बाते मुझे सताती है
जिन हाथो को थामे तुम
हौले से मुस्काती थी
वो हाथ तेरे हाथो की
छुवन महसूस अभी भी करते है
तेरी बदन की भीनी खुसबू
अब तक मेरे सासों में फैली है
अब भी रातो में तेरी नाजुक आहट
साफ सुनाई देती है
बंद कमरे में बैठ अकेले
अक्सर नैन नीर बहाते है
फिर जब थक जाता है मन
तब तेरी पनाह खोजता है मन
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