कुहरे की सफ़ेद चादर
चाँद की चांदनी साथ थी
मै चला जा रहा था
खोया खयालो में
वहां तुम नहीं
तुम्हारी याद थी
सर्द हवाए मेरे गालो को छूती
और रक्त भी जमने लगी थी
मै हवावो को चीरता बढ़ रहा
मुझे तुमसे मिलने की प्यास थी
सहसा चौका मै
एक हवा का झोका छु कर गया जो
वो बस यू ही नहीं
तुम्हरे आचल की खुसबू भरमार थी
वो एक रात की बात थी
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