दिन - दिन भर गुमसुम रहता हूँ
रातो को तारे गिनता हूँ
जब सो जाती है सारी दुनिया
पर मैं रोता रहता हूँ
ये प्यार नहीं तो क्या है
जो मैं तुमसे करता हूँ
गर्म हवाए चलती, पर
मैं ठिठुरता रहता हूँ
सर्द मौसम भी होने पर
बिन कपड़ो के रहता हूँ
सब कहते है क्या हाल है तेरा
पर मैं चुप ही रहता हूँ
ये प्यार नहीं तो क्या है
जो मैं तुमसे करता हूँ
भूख नहीं लगती अब मुझको
हफ्तों तक नहीं कुछ खाता हूँ
दो निवालो को ही खाने में
घंटे कई लगता हूँ
सब कहते है मर्ज को अपने दिख्लावो, पर
इन सब बातो से अब मैं कतराता हूँ
ये प्यार नहीं तो क्या है
जो मैं तुमसे करता हूँ
नहीं लगती अच्छी अब
सावन की हवा पुरवाई
न डालो पर चिडियों का
गाना सुन पाता हूँ
घासों पर ओस की बुँदे
नहीं सुहावनी लगाती है
इस सृष्टी की सभी वादिया
आँखों में अब चुभती है
देखता रहू हर पल पल - पल तुमको
महसूस यही अब करता हूँ
ये प्यार नहीं तो क्या है
जो मैं तुमसे करता हूँ
तुम आवो गी छम - छम करके
कुछ गीत नए सुनावो गी
तुम्हे छोड़ इस दुनिया की सारी बाते
अब बेगानी लगती है
इसी इंतजार में
बस तेरे प्यार में
कब से प्यासा बैठा हूँ
ये प्यार नहीं तो क्या है
जो मैं तुमसे करता हूँ
No comments:
Post a Comment