सब कुछ खो गया वो जो मैं पाने चला था
भूल गया हर शब्द उन तरानों के जो मैं गाने चला था
आँखो पर सजा लिए उन भावनावो को बना के मोती
जिन्हें आपने होठों से मुस्कुराने चला था
मुझे हर उस रास्ते ने ठोकर ही दिया
जिन पर चल कर मैं मंज़िल बनाने चला था
मेरी बेदाग तम्नावो ने मुझे जमी पर ला पटका
जिनकी पतंग बना मैं आसमा में उड़ाने चला था
अब तो उन दर्द को भी दर्द होने लगा है
जिन पर मैं मरहम लगाने चला था
सो गई हर ख्वाहिशे लेकर जहर का एक प्याला
जिन ख्वाहिशो को लेकर मैं अपनी जिंदगी सजाने चला था
विधि ने बस ठोकरे ही ठोकरे दी है मेरे नसीब में
मैं भूल इस बात को हँसने - हँसाने चला था मैं मुसकुरने चला था
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