एक रोज सो जाऊ गा मै
फिर न आँखे नम होगी
फिर न रोऊ गा मैं
फिर न तेरी याद होगी
न होगी मेरी तन्हाई
फिर न होउगा कभी मैं अकेला
और न होगी मेरी आवाज कोई
न होगे होठ ये मेरे
न इन पर तुम्हारा नाम होगा
फिर न कभी मेरे मन को ठेस लगे गी
फिर न मेरे दिल में दर्द होगा
और न होगा उदास कभी
फिर न मेरे अधरों पर कोई मुस्कान होगी
और न ही होगा एहसास कोई
फिर न कोई चाहत होगी
और न ही कोई लालसा
फिर कभी न भूख होगी
और होगी न कोई प्यास
बस रहे गा ये नस्वर शरीर
जिसे भी तुम राख कर दोगे
और फिर उसके बाद
न मैं रहूगा न मेरी याद