जिंदिगी के कुछ रिश्ते है
जो बन नहीं पाते
कुछ फासले होते है जिंदगी के
जो मिट नहीं पाते
मंजिले कई होती है जिंदगी की
कुछ मंजिले हम पा नहीं पाते
उड़ना तो चाहते है आकाश की उचाइयो में,
कुछ पर है जो खुल नहीं पाते
फस जाते है जिंदगी के उधेड़-बुन में
और कुछ सपने है जो पुरे हो नहीं पाते |
Monday, September 20, 2010
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Hi Piyush Bhiya
ReplyDeletenice poems may God help you to make your future brighter. . .