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Wednesday, November 13, 2013

मौन है शब्द

आज मौन है शब्द
लिखने को भी कुछ बच नहीं
लगता है कुछ इस तरह
शारीर में आत्मा भी रहा नहीं
न कोई मंज़िल नजर आरही
मुड़ने को भी कोई मोड़ दिखा नहीं
आज शांत हो गया ये मन
कोई सोच भी आता नही
कुछ एक वेदनाएं है
पर साफ़ नजर आता नहीं
सांसो में कुछ उतार चढ़व से है
पर उखड जाये ऐसा लगता नहीं
मेरी डोर अब किधर लिए जारही
हवावो का इरादा समझ पा रहा नहीं
बस उही बस इसी तरह
क्या है और क्या नहीं

Friday, October 18, 2013

मुझे रोना नहीं आया

तुम्हे हंसना नहीं आया
मुझे रोना नहीं आया
मोहब्बत के समुन्दर में डूब
गोते लगाना नहीं आया
ख्वाबो की उड़ने तो बहुत उड़ी हमने
कुचल हिरनी सा भरना नहीं आया
थके - हारे गिरते - पड़ते बढ़ते रहे यू ही
बैसाखियों का ले सहारा चलना नहीं आया
छु न सके गम का साया भी तुम्हे, पर
मेरी आगोस में सिमट तुम्हे चलना नहीं आया
मुझे जीना नहीं आया, और
प्यार में गिर कर तुम्हे मरना नहीं आया

Thursday, September 12, 2013

न रहे बाकि कोई निशां

मुझे अपने गम पर न हसना आया न रोना
आसुओं के इस भवर में न आया कोई सपना सलोना
जाने क्या लिखा है माथे की इन लकीरों में
तार तार हो गया इतने जख्म लगे है सीने में
इक प्यार भरा दिल ही तो माँगा था
वो भी न हुआ इस ज़माने को गवारा
अकेला ही बढ़ रहा हूँ वक्त के साथ
लड़ा हूँ आज तक आगे भी लडूँगा
जबतक है उखड़ न जाये आखरी साँस
जाने रहे न रहे बाकि कोई निशां मेरे जाने के बाद

Saturday, August 31, 2013

मैं कुवारा हूँ, आज भी तुम्हारा हूँ

मैं कुवारा हूँ, आज भी तुम्हारा हूँ
पतंग की मदमाती उड़ान की तरह
समुन्दर के लहरो में आये उफान की तरह
हर बधावो को तोड़
आज भी तुम्हारे इंतज़ार में हूँ
उचाईयों से अब नहीं डरता मैं
हिरनी सा कुचाल भरता मैं
सबकुछ अब पीछे छोड़ आया
बड़े मुददत के बाद तेरी यादो को दिल में सजाया हूँ
चलते चलते दूर बहुत आ निकला
अब तो लगता है परछाई भी साथ छोड़ देगी
मुक्कदर ही बता सकती है अब कहाँ जा रहा हूँ
कुछ अंदेशा सा है शायद तुम्हारे पास आरहा हूँ
मेरी कस्ती डगमगा जाती हैं
मौत भी आकर गुजर जाती हैं
लोग हँसते है हँसाते हैं
पर मुझे तो सभी रुलाते हैं
अब कुछ भी करने को मन नहीं करता हैं
जाने किस बात से अब ये डरता हैं
हजारो की इस भीड़ में मैं खो गया हूँ
सच कहता हूँ तुम्हारे बिन मैं अकेला हो गया हूँ

Wednesday, July 24, 2013

आप को देखकर दिल में ये ख्याल आया

इस बार तो आपने कुछ कहर सा ढा दिया 
यू कहे तो आपने आसमा को ज़मी पर ला दिया
कौन कहता है कि  चाँद बस आसमा में ही दिखेगा  
एक नज़र कोई आप पर भी डाले 
सर उठाना छोड़ देगा 
आप के हुस्न की तारीफ़ में क्या कहु 
देख ले बादल भी जो आप को गरजना छोड़ देगा 
आखों में चमक होठो पर वो मुस्कान 
गर देख ले खुदा भी जो आप को 
खुदाई छोड़ देगा 
आचल को आप ने यू हवा में जो लहराया 
फ़िज़ावो ने एक नया गीत गाया 
कुछ सितारे जो टाक दू आप के आचल में 
फिर सारी कायनात ही आप को देख कर जाये सरमा
आप से मिल कर कुछ नया करने को मन चाहा
आप को देखकर दिल में ये ख्याल आया

Saturday, June 29, 2013

बदले हालत में बदलता मैं

हर कोई मेरा दिल दुखाने में लगा हैं
ये ज़माना मुझपर मुस्कुराने में लगा हैं
ये तन्हायी ये बेचैनीया अब जीने नहीं देती मुझे
और खुदा है जो मुझे मनाने में लगा है
हर रोज न जाने जहर का कितने जाम पी  जाता हूँ मैं
और शाखी है की अमृत पिलाने में लगा हैं
तमाम ख्वाहिसो और खुशियों को दफ़न कर आया
और चंडाल है की कब्र से ताबूत निकालें में लगा है
अपने गमो को हमसाथी बनाना सीख लिया हमने
और गम है की नये दोस्त बनाने में लगा है
न उमंग न तरंग है अब कोई बाकी
और फिजाये है की नए धुन बनाने में लगा है
अब मंजिल नहीं कोई हर राह बंद हो गई है
पर मुकद्दर है कि नए मोड़ बनाने में लगा है
हर कोई बदल गया इस जमाने की बदल में
हार ही गया हूँ अपने ही किये हुए पहल में
और बदकिस्मती है की मुझे फिर नए रूप में ला
इस बदले ज़माने से लड़ाने में लगा है .........

Wednesday, March 27, 2013

न मैं रहूगा न मेरी याद

एक रोज सो जाऊ गा मै 
फिर न आँखे नम होगी 
फिर न रोऊ गा मैं 
फिर न तेरी याद होगी 
न होगी मेरी तन्हाई 
फिर न होउगा कभी मैं अकेला 
और न होगी मेरी आवाज कोई 
न होगे होठ ये मेरे 
न इन पर तुम्हारा नाम होगा 
फिर न कभी मेरे मन को ठेस लगे गी 
फिर न मेरे दिल में दर्द होगा 
और न होगा उदास कभी
फिर न मेरे अधरों पर कोई मुस्कान होगी 
और न ही होगा एहसास कोई
फिर न कोई चाहत होगी 
और न ही कोई लालसा 
फिर कभी न भूख होगी
और होगी  कोई प्यास 
बस रहे गा ये नस्वर शरीर 
जिसे भी तुम राख कर दोगे 
और फिर उसके बाद 
न मैं रहूगा न मेरी याद 

कैसे समझाऊ कैसे बतलाऊ

रातो के नीद मेरी हराम करके 
वो चैन से सोते है 
उनकी होठो पर हँसी हमेशा 
और हम अक्सर ही रोते है
खुले गगन के नीचे वो 
मस्त मौला से रहती है 
मैं आवारा मैं बंजारा 
मन उसकी ही धुन में रहता है 
कैसे समझाऊ कैसे बतलाऊ 
ये दिल प्यार उन्ही को करता है 

Tuesday, March 26, 2013

ये प्यार नहीं तो क्या है


दिन - दिन भर गुमसुम रहता हूँ 

रातो को तारे गिनता हूँ 
जब सो जाती है सारी दुनिया 
पर मैं रोता रहता हूँ 
ये प्यार नहीं तो क्या है 
जो मैं तुमसे करता हूँ 
गर्म हवाए चलती, पर 
मैं ठिठुरता रहता हूँ 
सर्द मौसम भी होने पर
बिन कपड़ो के रहता हूँ 
सब कहते है क्या हाल है तेरा 
पर मैं चुप ही रहता हूँ 
ये प्यार नहीं तो क्या है 
जो मैं तुमसे करता हूँ 
भूख नहीं लगती अब मुझको 
हफ्तों तक नहीं कुछ खाता हूँ 
दो निवालो को ही खाने में 
घंटे कई लगता हूँ 
सब कहते है मर्ज को अपने दिख्लावो, पर
इन सब बातो से अब मैं कतराता हूँ 
ये प्यार नहीं तो क्या है 
जो मैं तुमसे करता हूँ 
नहीं लगती अच्छी अब 
सावन की हवा पुरवाई 
न डालो पर चिडियों का 
गाना सुन पाता हूँ 
घासों पर ओस की बुँदे 
नहीं सुहावनी लगाती है 
इस सृष्टी की सभी वादिया
आँखों में अब चुभती है
देखता रहू हर पल पल - पल तुमको  
महसूस यही अब करता हूँ  
ये प्यार नहीं तो क्या है 
जो मैं तुमसे करता हूँ
तुम आवो गी छम - छम करके 
कुछ गीत नए सुनावो गी 
तुम्हे छोड़ इस दुनिया की सारी बाते 
अब बेगानी लगती है 
इसी इंतजार में 
बस तेरे प्यार में 
कब से प्यासा बैठा हूँ 
 ये प्यार नहीं तो क्या है 
जो मैं तुमसे करता हूँ

Saturday, March 23, 2013

मोहब्बत के गलियारे में


मोहब्बत के उस गलियारे में 
एक पेड़ हमने भी लगाया था 
अरमानो की खाद डाली 
उम्मीदों से नहलाया था 
दुनिया के धुल और धुएं से 
बचाने की हर कोशीस करी हमने 
सूरज की तपिश को खुद पर झेल था 
ये चाहत लिए फले का फुले गा 
और छाव  देगा सभी को 
पर विडम्बना कुछ ऐसी हो गई 
नजाने क्यू 
लगाया था पेड़ आम का 
वो बबूल कैसे हो गया 

Friday, March 22, 2013

तेरा इंतजार करते है

मोहब्बत में दो आसू हमने भी गिराए है 
वफ़ा की राह में पैरो में काटे चुभाये है 
पटक दिया सर पत्थर  पर , कि 
जनाजा निकल जाये 
पर रहम उस पत्थर को भी आ गया 
उसने भी बक्श दिया मुझे 
शायाद ये सोचा कर 
की पिघल जाये वो कठोर दिल भी कभी 
पर न वो पत्थर दिल पिघली न पिघल उसका मन 
और हम रोते रह गए जबकि आसू भी हो गए ख़तम 
पर न हुआ कम उसका सितम 
अब तो बस जिए जा रहे है 
बची हुयी जिंदगी को अपने 
और बस इंतजार है 

Tuesday, March 19, 2013

मेरी खामोसी तेरी याद

हर आहट पर तेरा इंतजार होता है 
झनकती है जब कोई पायल 
लगता है की तुम होगी  
हटती है जब कड़ी दरवाजे की 
दिल बेचैन हो उठता है 
कही तुम तो नहीं 
पर हर आहट हर झंकार के बाद
हर बार दवाजा खुलने के बाद 
फिर वही खामोसी थी 
फिर वैसे ही दिल उदास 
क्यू कि इस बार भी तुम दूर थी 
नहीं थी तुम पास नहीं थी तुम पास 

Monday, March 11, 2013

फिर जिंदगी एक बार



फिर कुछ दिल ने कहा 
फिर तेरी याद आगई
मौसम ए बहार फिर इक बार 
दिल को मायूस कर गई 
हमने तो नदियों सा 
बहना सीख ही लिया था , पर
फिर जिंदगी एक बार 
समंदर की लहरों की तरह 
चटान से टकरा गई 

Sunday, March 3, 2013

मैं मुसकुरने चला था

सब कुछ खो गया वो जो मैं पाने चला था 
भूल गया हर शब्द उन तरानों के जो मैं गाने चला था 
आँखो  पर सजा लिए उन भावनावो को बना के मोती 
जिन्हें आपने होठों से मुस्कुराने चला था 
मुझे हर उस रास्ते ने ठोकर ही दिया 
जिन पर चल कर मैं मंज़िल बनाने चला था 
मेरी बेदाग तम्नावो ने मुझे जमी पर ला पटका 
जिनकी पतंग बना मैं आसमा में उड़ाने चला था 
अब तो उन दर्द को भी दर्द होने लगा है 
जिन पर मैं मरहम लगाने चला था 
सो गई हर ख्वाहिशे लेकर जहर का एक प्याला 
जिन ख्वाहिशो को लेकर मैं अपनी जिंदगी सजाने चला था 
विधि ने बस ठोकरे ही ठोकरे दी है मेरे नसीब में 
मैं भूल इस बात को हँसने - हँसाने चला था मैं मुसकुरने चला था 

Friday, March 1, 2013

कोई नाम मिल जाये

मेरी खवाहिसो को कोई सौगात मिल जाये 

तेरे होठो से कोई पैगाम मिल जाये


अभी तो बेआबरू ही जिए जा रहे है


तू समझ ले अगर दिल लगा के इसे 


तो मेरी मोहब्बत को भी कोई नाम मिल जाये
 
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