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Wednesday, March 27, 2013

कैसे समझाऊ कैसे बतलाऊ

रातो के नीद मेरी हराम करके 
वो चैन से सोते है 
उनकी होठो पर हँसी हमेशा 
और हम अक्सर ही रोते है
खुले गगन के नीचे वो 
मस्त मौला से रहती है 
मैं आवारा मैं बंजारा 
मन उसकी ही धुन में रहता है 
कैसे समझाऊ कैसे बतलाऊ 
ये दिल प्यार उन्ही को करता है 

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