मोहब्बत के उस गलियारे में
एक पेड़ हमने भी लगाया था
अरमानो की खाद डाली
उम्मीदों से नहलाया था
दुनिया के धुल और धुएं से
बचाने की हर कोशीस करी हमने
सूरज की तपिश को खुद पर झेल था
ये चाहत लिए फले का फुले गा
और छाव देगा सभी को
पर विडम्बना कुछ ऐसी हो गई
नजाने क्यू
लगाया था पेड़ आम का
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