WELCOME TO PIYUSH'S BLOG :)

rss

Friday, December 23, 2011

MAA KA DARD


एक फ़ोन कि घंटी बजी
और नंबर आया माँ 
कर दिया silent फ़ोन को
वो यू ही बजता रहा
कुछ देर बाद फिर बजी घंटी
और ये सिलसिला ऐसे ही कुछ देर चला
फिर थक गए माँ के बूढ़े हाथ 
और लेट गई आखों में आंसूवो के साथ
फिर जब रात चांदनी कि डूब गई 
सूरज ने पंख फैला लिए
ख़त्म हो गई जब पार्टी बेटे कि
तब पूछा माँ को कर के फ़ोन
हाँ क्या बात है क्यू कर रही थी ऐसे फ़ोन
क्या बोलती बेचारी माँ 
बस कहा कुछ नहीं तेरी याद आ रही थी 
चलो ठीक है और कट कर दिया फ़ोन
माँ के आखों में इस बार भी आसू थे 
माँ के आखों में उस बार भी आसू थे
पर बेटा क्या जाने उस दर्द को
जो हर माँ महसूस करती है
हर गम को सह कर हर आंसू को पीकर 
गुम-सुम सी रहती है 

Tuesday, December 13, 2011

Teri Panah Khojta Hai Man

काम करते करते जब थक जाता है मन
तब तेरी पनाह खोजता है मन
माना अभी हम दूर है 
हालातो से मजबूर है 
फिर भी याद तो तेरी आती है
तेरी बाते मुझे सताती है 
जिन हाथो को थामे तुम
हौले से मुस्काती थी
वो हाथ तेरे हाथो की
छुवन महसूस अभी भी करते है
तेरी बदन की भीनी खुसबू
अब तक मेरे सासों में फैली है
अब भी रातो में तेरी नाजुक आहट
साफ सुनाई देती है
बंद कमरे में बैठ अकेले
अक्सर नैन नीर बहाते है
फिर जब थक जाता है मन
तब तेरी पनाह खोजता है मन

Monday, November 28, 2011

Mai Kuch Talaash Kar Raha Hun

कुछ दिनों से मै कुछ तलाश कर रहा हूँ 
मै अपने आप में खुद को तलाश कर रहा हूँ
रात के अंधरे में सुबह के उजाले में
किसी कमरे का एक गुमनाम सा कोना हो 
या फिर भरी बाजार का कोलाहल 
मै बुझते चराग में 
लौ की नई किरण तलाश कर रहा हूँ
मै अपने आप में खुद को तलाश कर रहा हूँ
पेड़ की शीतल छाव के निचे
तपती रेत पर नंगे पैर को खिचे 
डरा - डरा सा सहमा हुआ सा
काटो भरी लम्बी राह पर
मंजिल के निंशा तलाश कर रहा हूँ
मै अपने आप में खुद को तलाश कर रहा

Wednesday, November 23, 2011

Kuch Sochta Hun.....

लिखने को कुछ लब्ज सोचते है
पर लिखे क्या ये सोचते है
और सोच की उधेड़-बुन है इतनी की,
भूल जाते है लिखने तक कि क्या सोचते है
चलते चलते यूँही राहों में
धुंदली-धुंदली यादों के साये में ,
कुछ बाते है कुछ यादे है
पास सम्हाले रखे कुछ अफसाने कुछ फ़साने है
बस फिर दिल इनसे ही भर आता है,
लिखने तक फिर सोच-सोच कर ही
मन थक जाता है

Wednesday, November 9, 2011

अतिथि देवो भवः









अतिथि तुम कब जाओ गे
बहुत हुआ सम्मान तुम्हारा
कुछ तो मानो आभार हमारा 
दिन प्रस्थान का कब हमे बतलाओ गे
अतिथि तुम कब जाओ गे
खाली हो गए हाड़ी - बर्तन 
उधार हुआ कतरन - कतरन
व्यथा हमारी क्या समझ भी पाओ गे
अतिथि तुम कब जाओ गे
सावन चार तुम देख चुके 
धन था जो सब लूट चुके 
क्या आखे, आँते और किडनी भी बिकवाओ गे
हे !!!!! अतिथि तुम कब जाओ गे ????????

Tuesday, November 8, 2011

Mai Tumahra Pyar Khojta Hun


क्या खोजने आया था
क्या खोजता हूँ
मेरे ह्रदय कि अनंत गहराई में
बस तुम्हे देखता हूँ
मेरी खुद की कोई अभिलाषा नहीं अब
तुम्हरे सपनो को कर दूँ साकार सोचता हूँ
जीवन कि इस कर्म भूमि पर
हर कदम पर तुमहरा साथ ढूंढ़ता हूँ
हजारो कि भीड़ में अपने हर एक शब्द में
तुमहरा अक्स उभरता हूँ
कुछ और मांगू या मांगू तुमसे
तुमसे तुम्ही को मांगता हूँ
मैं तुमसे प्यार करने आया था
मैं तुमहरा प्यार खोजता हूँ

Saturday, November 5, 2011

Jab Tum Mile

युहि एक मोड़ पर

कोई मिला हमसे थोडा मुस्कुरा कर

कुछ कदम साथ चला

और मिला फिर हमसफ़र बनकर

समय कुछ और बीता

विधि आई शूल लेकर

पर हममे भी जिद था

अडिग थे हम एक दूजे का हाथ थाम कर

अब मुझे क्या कोई रोक लेगा

शुभ बना दिया तुमने मुझे अपना हाथ दे कर

Friday, October 21, 2011

Mai Bhi Mobile Phone Bajaau Ga

Piyush
तरह तरह के रिंग टोन लगाऊ गा
मै भी मोबाइल फ़ोन बजाऊ गा
हर angle से फोटो लूँगा
FaceBook पर अपनी प्रोफाइल सजाऊ गा
मै भी मोबाइल फ़ोन बजाऊ गा
दोस्तों से फिर लम्बी बाते
sms का पैक डलाऊ गा
मै भी मोबाइल फ़ोन बजाऊ गा
माँ-बापू का न रहे गा डर
जब बजे गा Girl Friend का नंबर
झट से दौड़ा जाउगा
छत के उपर बैठ देर रात तक बतियाऊ गा
मै भी मोबाइल फ़ोन बजाऊ गा
अब करनी हो बुकिंग ट्रेन की
या फिर movie जाना हो
इन्टरनेट खोल मोबाइल पर
देर तक चैटिय़ाउगा
मै भी मोबाइल फ़ोन बजाऊ गा


पियूष श्रीवास्तव

Sunday, September 25, 2011

समझाने की मैं कोशिश करता

समझाने की मैं कोशिश करता
क्या तुम समझ भी पाती हो
तुम पर अपना प्यार लुटाता
क्या तुम इतरा जाती हो
छेड़ा करता तुमको ख्वाबो में
क्या तुम शरमा जाती हो
हर पल सोचा करता मैं तुमको
क्या याद मुझे भी तुम कर पाती हो
वक्त की सुई टिक-टिक चलती
क्या तुम घड़िया गिन पाती हो
मेरी आखों में अब नीद नहीं
क्या रातो को तुम सो जाती हो
तेरी हर एक धड़कन पहचान मैं जाता
क्या मेरी आहट तुम सुन पाती हो
हर अहसास तेरे अब मेरे
क्या महसूस मेरी सासों को तुम कर पाती हो
वर्षा करता रहता मैं पियूष की
क्या एक बूद भी पी पाती हो
समझाने की मैं कोशिश करता
क्या तुम समझ भी पाती हो

Tuesday, May 31, 2011

Let's fly

Let's think if we have wings
Traveling is become so easy
We fly here and their
No one can disturb us
We crass all rivers and ocean
We jump highest mountain
Then we fly towards sky
And fly and fly and
We Fly away from the sky

Wednesday, May 25, 2011

I was alone


Ones a time I think I am fine

But I was wrong

Because I was alone

wind was blowing

moon was glowing

wave sounded good

but I was not happy

as I thought

I had no one

I was alone

Sunday, May 15, 2011

Meri Parchayi

जब सोचता हूँ तुम्हारे बारे में 
फिर सोचता हूँ  की तुम कैसी हो  
तुम ऐसी हो या तुम वैसी हो 
फिर जब देखता हूँ दूर तलक आईने में
और तब सोचता हूँ तुम्हारे बारे में 
फिर ये ख्याल आता है 
न तुम ऐसी हो न तुम वैसी हो
तुम बस मेरे जैसी हो

Wednesday, February 23, 2011

BasTum

मेरी तमाम खुशियों की मुक्मल तस्वीर हो तुम
तपतपाती रेत पर शीतल छाव तुम 
भटकता राहो पर मै मेरी हर मक़ाम हो तुम
धड़क उठे दिल मेरा फिर एक बार 
जिसके आजाने से
मेरी वो प्राण हो तुम
कान फिर सुनने लगे 
जिव्हा फिर बोल पड़े 
जो एक नाम, वो नाम हो तुम
मेरे लिए मेरी जान हो तुम  
 
Entertainment Top Blogs A1 Web Links -