
अतिथि तुम कब जाओ गे
बहुत हुआ सम्मान तुम्हारा
कुछ तो मानो आभार हमारा
दिन प्रस्थान का कब हमे बतलाओ गे
अतिथि तुम कब जाओ गे
खाली हो गए हाड़ी - बर्तन
उधार हुआ कतरन - कतरन
व्यथा हमारी क्या समझ भी पाओ गे
अतिथि तुम कब जाओ गे
सावन चार तुम देख चुके
धन था जो सब लूट चुके
क्या आखे, आँते और किडनी भी बिकवाओ गे
हे !!!!! अतिथि तुम कब जाओ गे ????????



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nice post dud....
ReplyDeletehi piyush bhai,bhabhi ka wait ho raha hai kya??
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