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Tuesday, December 13, 2011

Teri Panah Khojta Hai Man

काम करते करते जब थक जाता है मन
तब तेरी पनाह खोजता है मन
माना अभी हम दूर है 
हालातो से मजबूर है 
फिर भी याद तो तेरी आती है
तेरी बाते मुझे सताती है 
जिन हाथो को थामे तुम
हौले से मुस्काती थी
वो हाथ तेरे हाथो की
छुवन महसूस अभी भी करते है
तेरी बदन की भीनी खुसबू
अब तक मेरे सासों में फैली है
अब भी रातो में तेरी नाजुक आहट
साफ सुनाई देती है
बंद कमरे में बैठ अकेले
अक्सर नैन नीर बहाते है
फिर जब थक जाता है मन
तब तेरी पनाह खोजता है मन

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