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Monday, June 25, 2012

तुम पास भी और दूर थी

जिंदगी इक तलाश थी तुझ से मिनले की प्यास थी 
मिला जब भी तुझसे तू हर बार एक सवाल थी
मेरे अधरों की प्यास क्या बुझती, जब
मेरे सिने में धधगती आग थी
आसू बह रहे थे अंतर मन से
पर होठो पर मुस्कान थी
मंजिल बहुत दूर और राह भी मजबूर थी
मै खोजता तुम्हारा साथ 
तुम पास भी और दूर थी
अकेला ही बढ़ता रहा मै
हर मोड़ पर तुमसे मिलने की आस थी
तुम पास भी और दूर थी

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