WELCOME TO PIYUSH'S BLOG :)

rss

Saturday, April 2, 2016

मुझे हारना नहीं आया



रात में जगना नहीं आया
सुबह सोना नहीं आया
मुसीबतों के देख सामने रोना नहीं आया
आंधिया कितनी भी तेज भले रही हो
घुटनों पे बैठ आखों को ढकना नहीं आया
बिजलिया जहाँ कहर गिराती बार बार
मैंने भी आशिया बनाया वहीँ हर बार
नियति ने जितने भी शूल दिए
मजबूत हुआ मैं उतना है हर बार
अब तक,
विधि मुझसे जीत नहीं पाया
और,
मुझे उससे हारना नहीं आया

No comments:

Post a Comment

 
Entertainment Top Blogs A1 Web Links -