जिंदिगी पर नजर रखी हमने
हर पल की खबर रखी हमने
पर फिर भी न जाने कैसे
जिंदगी ने बचपन चुरा लिया हमसे
अभी चार दिन पहले की ही तो बात है
मदमस्त हम अपने बचपन के साथ थे
पंछियों से थी दोस्ती,
बारिसो की कुछ अलग बात थी
किसी की बात हम सुनते कहाँ
और किसी को कुछ कहने की जरुरत कहाँ
पर अचनक गई या होले – होले
बचपन न जाने कहाँ खो गई, शायद
जिंदगी को जितने की होड़ में
कुछ इतना आगे निकल आये
न बचपन रहा न मासूमियत
अब चेहरा बस खौफ से भरा
पर एक बात आज भी है बाकि
बचपन की हर याद है ताजी
जिंदगी ने बचपन छीन लिया तो क्या
अभी मुझमे बचपना है बाकि......